Jun 16, 2013

पिता

मुझे पता है
किस तरह तुमने
अपने सपनों को
मुझमें देखा था
जोड़-तोड़ कर
वो सारी चीजें दी
जिनसे खुद महरूम रहे
नए शहर में
कोंलेज एडमिशन से लेकर
किताबें खरीदने तक
हमेशा अकेले भेजा
कभी सीधे से
मेरा हाल नहीं पूछा
पर माँ से ज़रूर पूछा
कि "दामू" अभी तक घर नहीं आया
माँ ने गोद में उठाये रखा
पिता ने कदमों पर चलना सिखाया
-Happy Father's Day

Jun 14, 2013

बादल का जब खुला पिटारा

बादल का जब खुला पिटारा
लुढक गया गर्मी का पारा
भीगी मुंबई सरपट भागी
मोसम हो गया प्यारा प्यारा
टी स्टाल पर भीड़ जुटी है
अदरक वाली चाय घुटी है
बारिश, चाय और प्यार का मोसम
तीनों घटना साथ घटी है
बस स्टॉप पर कपल खड़ा है
एक दूजे को करे इशारा
बारिश का जब खुला पिटारा
6:15 की लोकल लेट
पिंकी का कोई करता वेट
30 मिनट में लोकल आई
दोनों पहुचे चर्चगेट
एक छतरी में पिंकी पप्पू
मरीन ड्राइव का यही नज़ारा
बादल का जब खुला पिटारा
गीले बदन में दफ्तर पहुचे
बॉस खड़े केबिन में सोचे
बारिश में यही हाल रहेगा
हर साल यही होते हैं लोचे
कुर्सी पर फिर टिका बेचारा
बारिश का जब खुला पिटारा
रैनकोट में निकला बंटी
स्कूल की जब बजी थी घंटी
बेग उठाकर गेट पे आया
छतरी खोले खड़ी थी अंटी
दोनों घर लौटे दोबारा
बादल का जब खुला पिटारा

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