न बिस्तर पर सलवटें हैं
न ही फूलों की महक
सुबह की पूजा
शाम की आरती
सब मौन है
यार घर में कुछ तो रखो
अपनी यादों का सामान
जब रात भर नींद नहीं आती
तब ढूंढता रहता हूँ
कमबख्त तकियों को भी
तुम्हारी आदत पड़ गयी
चददर का दूसरा छोर
उदास पड़ा है
मेरा नहीं कम से कम
घर का तो खयाल करो
©damodar
न ही फूलों की महक
सुबह की पूजा
शाम की आरती
सब मौन है
यार घर में कुछ तो रखो
अपनी यादों का सामान
जब रात भर नींद नहीं आती
तब ढूंढता रहता हूँ
कमबख्त तकियों को भी
तुम्हारी आदत पड़ गयी
चददर का दूसरा छोर
उदास पड़ा है
मेरा नहीं कम से कम
घर का तो खयाल करो
©damodar
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