Mar 9, 2013

वो औरत है..

वो जब भी डांटती है
तो ख़ुद भी रोने लगाती है

तुम्हारा इंतज़ार उसे
चौखट पे खड़ा कर देता है

सिर्फ़ एक दिन हक़ मांगती है
अपने आस्तित्व का धागा लेकर

वो खुद को सौंप देती है
तुम्हारी इच्छाओं के सम्मान में

वो मां है.. पत्नी है
वो बहन है, बेटी है..

वो औरत है..
उसे दुनिया बसाना आता है..

No comments:

Followers