Nov 20, 2011

मैं नहीं थी उस वक़्त,
जब पहली बार मिली थी तुम्हें,
'खुश खबरी' वाली ख़ुशी..

तुम दोनों ने एक दूजे का
हाथ थाम लिया होगा,
देर तक देखा होगा
आँखों में एक दूजे की..

मुन्ना या गुड़िया के नाम सोचे होंगें..
और फिर एक दिन,
चूमा होगा मेरे सिर को
गोद में लेकर..

हाँ मैं मौजूद थी उस वक़्त,
जब मिली थी तुम्हें दूसरी बार
'खुश खबरी' वाली ख़ुशी..

तुम दोनों ने एक दूजे का
हाथ पकड़ा था..
मुझे हवा में उछाल कर,
आने वाली ख़ुशी की
इत्तेलाह दी थी..

और फिर एक दिन,
तुमने फिर से चूमा था
मेरा सिर, मुन्ना के आने की ख़ुशी में

वक़्त बढ़ता रहा, हम बढ़ते रहे
और तुम दोनों का प्यार भी..

not impossible वाली बातें
सच लगने लगी जब
तुमने खरीदकर दी थी
हर वो चीजें
जिसे माँगा था हमने
बचपने में...

याद है मुझे, तुमने एक बार फिर
चूमा था मेरा सिर,
जब में गुड़िया रानी से
बिटिया रानी बन गई..
लेकिन हमारे प्यार की
pocket money कम न हुई..

वक़्त सब कुछ बदलता रहा
और जोड़ता रहा
तुम दोनों के joint account में
प्यार की पूंजी..

मुबारक हो
तुम्हारे रिश्तों की FD
27 साल की हो गई हैं...

Nov 16, 2011


सुकून नहीं मिलता
कोरे कागज़ पर लकीरें खींच कर
सुस्ताने के लिए आँखे मींच कर

घर के कोने से जाला हटाकर
भगवान की तस्वीर पर माला चढ़ाकर

नंगे बदन पर कपड़े लपेट कर
बिखरी चीज़ें फिर से समेट कर

ख़ामोशी के सफ़र को गीतों से तोड़कर
टूटे हुए सिरों को फिर से जोड़कर

रेत की घड़ी का सिरा उलटकर
हारी बाज़ी का पासा पलटकर

तुमने ठीक ही कहा था
तन्हाई में कैसा भी वक़्त अच्छा नहीं होता
(14 November, 2011 : 3:40AM)

Nov 14, 2011

ये रात रात में ही क्यों आती हैं

फलक पर ये कौनसा चेहरा बन रहा है
रात के सन्नाटे में
ये ख़ामोशी क्या कह रही है..

ये चाँद क्यों आँख मिचौली कर रहा है..
ये हवाएं क्यों उड़ा रही है ,
मेज पर रखी किताब के पन्ने..

ये नदी बहकर किस और जा रही है
इतनी रात को..
लगता है ,
रात भर कायनात कोई साजिश कर रही है..

दहलीज पर सुबह की दस्तक होते ही,
सभी अपने घरों में चले जाते हैं..

ये रात सुबह को कहाँ चली जाती है
ये रात रात में ही क्यों आती हैं...

( 14th November, 2011 : 2.47AM )

Nov 12, 2011

अरसा बीत गया
धम्म से जमीं पर पाँव पटके हुए
सालों से हाथ छिटक कर
किसी से रूठा नहीं मैं..

अब कोई नहीं छीनता पेंसिल मेरी,
और ना ही मैं किसी का पन्ना फाड़ता हूं

टीचर, क्लास, बेंच और पनिशमेंट
सब कुछ गुल हो गया हैं
जब से आँखों पर
सीरियसनेस का चश्मा चढ़ा है..

चल यार एक काम कर
कभी यूं ही आजा मेरे घर पे
दोपहर में, दरवाजा नोक किए बिना..
टल्ली मार कर गिरा दे पानी
मेरे काम की सभी फाइलों पर..

खोपरे की गोली लेकर आना,
मैं जीना चाहता हूं बचपन को
एक बार फिर से....
(Happy children's day)

Nov 1, 2011

काजल पीछे राज़ छुपाकर क्यों करती है वार
तीर नज़र सी उतरी दिल में, ले गई दुनिया पार
तेरी नैनों वाली बातें
बड़ी गहरी रे... कितनी गहरी रे...
I - हाथ पकड़कर साथ चली थी
क़तरा- क़तरा साथ उड़ी थी
ग़ज़ब की दुनिया दिखी रात भर
जंगल बीच बाज़ार
तेरी नैनों वाली बातें
बड़ी गहरी रे... कितनी गहरी रे...
II - एक पलड़े में चाँद धारा था
दूजे में मुस्कान तेरी
भारी हल्का, हल्का भारी
मुश्किल में थी जान मेरी
बड़ी बात का दाम बड़ा था
कीमत लाख हज़ार
तेरी नैनों वाली बातें
बड़ी गहरी रे... कितनी गहरी रे..
III - नाव में बैठा गीत सुनाये
कल-कल नदियाँ बहती जाए
गीतों का रंग लाल गुलाबी
मियां मेघ मल्हार
बीच भंवर में उलझ गया रे
उतारा कोई ना पार
तेरी नैनों वाली बातें
बड़ी गहरी रे... कितनी गहरी रे...
Damodar vyas (All right reserved for this song)

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