कौन अब साज़ छेड़ेगा
कौन अब महफ़िल सजाएगा
कौन मीर-ओ-ग़ालिब की बात करेगा
कौन गुलज़ार की नज्में गाएगा
तेरी गज़लें ही सुनकर
इश्क परवान चढ़ा मेरा
कौन अब मुझे
मोहब्बत का पाठ पढ़ाएगा
तेरे जाने का गम
किसी सदमे से कम नहीं
अब तो ज़माना सिर्फ
तेरी गज़ले दोहराएगा
कौन अब महफ़िल सजाएगा
कौन मीर-ओ-ग़ालिब की बात करेगा
कौन गुलज़ार की नज्में गाएगा
तेरी गज़लें ही सुनकर
इश्क परवान चढ़ा मेरा
कौन अब मुझे
मोहब्बत का पाठ पढ़ाएगा
तेरे जाने का गम
किसी सदमे से कम नहीं
अब तो ज़माना सिर्फ
तेरी गज़ले दोहराएगा
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