Jun 2, 2008

मैं एक बूँद हूँ....


रूप बदलना हैं काम मेरा, मैं फेरबदल कर सकती हूँ.....
एक बूँद नहीं समझो मुझको, मैं कुछ भी कर सकती हूँ....

याद करो बचपन अपना, मैं आंसू बनकर आती थी..
मम्मी-पापा, दादा, नानी, सब को ठग कर जाती थी..
एक चोकलेट की चाहत को, बड़ा इमोशनल कर सकती हूँ..
एक बूँद नहीं समझो मुझको, मैं कुछ भी कर सकती हूँ....

शबनम,  आंसू,  बरसात या पानी,  ना जाने कितने नाम दिए...
जज्बात,  मोहब्बत और हर मौसम में मैंने ही पैगाम दिए....
तुम छुपा नही सकते कुछ भी, मैं खोजबीन कर सकती हूँ....
एक बूँद नहीं समझो मुझको, मैं कुछ भी कर सकती हूँ....
 
सागर,  नदी,  तालाब और आँखे,  हर जगह मुझे ही पाओगे..
मैं तुम सब का हिस्सा हूँ,  मुझ बिन कैसे रह पाओगे...
मैं तो बहती गंगा हूँ,  तकदीर बदल भी सकती हूँ....
एक बूँद नहीं समझो मुझको,  मैं कुछ भी कर सकती हूँ....

*कभी-कभी हम जिन्दगी में कई छोटी-छोटी बातों को अनदेखा कर जाते हैं... लेकिन गौर से देखा जाए तो इन सभी बातो की बड़ी अहमीयत होती हैं... बस ठीक उसी तरह जिस तरह कुछ बूंदों की... घडा भरने के लिए!! मुझे यकीन हैं की मेरी ये कविता भी आपके दिल को छूने में कुछ हद तक तो ज़रूर कामयाब होगी...

2 comments:

ankit-we the loving said...

ek boond sachmuch kuchh bhi kar sakti hai.....shunya bhi ek boond hi hai jis se sare ank bane hai...jo yogiyon ki manzil hai....aur shiv ki is jagat ki paribhasha hai.koi kahe boond samati hai samund mein....magar samund samata hai boond mein....kyonki boond ke bina samudra ka koi astitva nahin hai. boond ask ka ek katra ban jiya ka bhed keh deti hai.....pasine ki chand boonde aapke lalat par aaye to awargi ki dastan keh deti hai...wohi pasine ki bunde mehnatkash ki jaan aur jahan hai.....khun ki ek boond janmon ke rahsya khol deti hai.....boond anu bhi hai parmanu bhi.....Deep Bhai aapka bund mahatmya bahut hi ramnik bana hai......is boond ko swati, bhujang ya kadamb kiska saath mile us par iski niyati nirbhar hai....dekhen kya hota hai.

Railway News Express said...

thnkx for ur precious comment dear... aise hi mera hosla badhate rahe...

Followers